१ परिस्थिति –
रीमा अपनी दोस्त फ़रहा के घर चाय पर गई।वहाँ से वापस आते हुए वो सोसाइटी के गेट पर ऑटो रिक्शा का इंतज़ार कर रही थी और तभी एक बाइक पर दो लड़के आकर उसके साथ बद्तमीज़ी करने लगे। सोसाइटी के दोनों गार्ड्स दौड़ कर उसकी मदद करने पहुंचे और वह लड़के फरार हो गए।
२ परिस्थिति –
सीमा अपनी फैक्ट्री द्वारा दी गई बस से काम पर आती-जाती है। कुछ दिन पहले उसका नया मैनेजर ईशान उसके साथ उस बस में आकर बैठा और उसके कंधे पर हाथ रख दिया। सीमा को बहुत डर लगा, लेकिन वो उसका मैनेजर था।
३ परिस्थिति –
ऑफिस के कुछ लोगों ने एक व्हाट्सप्प (Whatsapp) ग्रुप बनाया जहाँ लोग दिलचस्प वीडियो, न्यूज़, चुटकुले वगैरह शेयर करते है। वहीँ कुछ लोगों ने एक दुसरे ऑफिस से एक घंटे की वर्कशॉप करने आयीं कशिश के शरीर पर अश्लील कमैंट्स शेयर किये। ये एक ऑफिशल ग्रुप नहीं है लेकिन यहाँ पर काम करने वाले लोग, सहकर्मी हैं। ये बातें कशिश ने नहीं पढ़ीं पर व्हाट्सप्प ग्रुप के कई लोगों के लिए ये बेहद मुश्किल अनुभव थ। उन्हें डर और असुरक्षा महसूस हुई।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, २०१३ (POSH २०१३) का उद्देश्य महिलाओं के लिए उनके काम करने के स्थान को सभी के लिए सुरक्षित बनाना है। इस कानून में यौन उत्पीड़न को शारीरिक संपर्क और कोशिशों, या यौन अनुग्रह हेतु मांग या अनुरोध, या कामुक टिप्पणी, या अश्लील साहित्य या चित्र का प्रदर्शन, या यौन प्रकृति के किसी अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक, या गैर-मौखिक आचार-व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है। गौर करें कि इस अधिनियम में केवल निवारण ही नहीं, बल्कि रोकथाम और निवारण की बात भी कही गयी है, इसीलिए इस अधिनियम के अनिवार्य पहलुओं में लैंगिक संवेदनशीलता के प्रशिक्षण और वर्कशॉप्स को रखा गया है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, २०१३ के अनुसार,
“लैंगिक उत्पीड़न के परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15 के अधीन समता तथा संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन प्राण और गरिमा से जीवन व्यतीत करने के किसी महिला के मूल अधिकारों और किसी वृत्ति का व्यवसाय करने या कोई उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने के अधिकार का, जिसके अंतर्गत लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार भी है, उल्लंघन होता है।
और, लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण तथा गरिमा से कार्य करने का अधिकार, महिला के प्रति सभी प्रकार के विभेदों को दूर करने संबंधी अभिसमय जैसे अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों और लिखतों द्वारा सर्वव्यापी मान्यताप्राप्त ऐसे मानवाधिकार हैं जिनका भारत सरकार द्वारा 25 जून, 1993 को अनुसमर्थन किया गया है।
और, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से महिला के संरक्षण के लिए उक्त अभिसमय को प्रभावी करने के लिए उपबंध करना समीचीन है।”
कार्यस्थल / दफ्तर
इस में न केवल भौतिक (physical) रूप से कार्यस्थल, साथ ही ऑफिस द्वारा प्रदान किये गए यातायात, यात्रा, या ऑफिस के पिकनिक, कांफ्रेंस या कार्य से सम्बंधित कोई भी जगह इत्यादि भी आते हैं। आपको अपने कार्य के सम्बन्ध में किसी भी जगह काम से जाना हो, वह कार्यस्थल की परिभाषा में आएगा। कार्यस्थल या दफ्तर से जुड़े किसी भी काम से अगर आप कहीं जाते हैं, तो वह आपका कार्यस्थल माना जाएगा और PoSH के अंतर्गत आएगा।
Covid-19 के समय से घर-से-काम (Work-from-home) या उसके बाद हाइब्रिड (hybrid) तरीके से काम करने पर, उस समय ऑनलाइन वार्तालाप (telecommunication) जैसे ईमेल (email), व्हाट्सप्प (whatsapp), SMS, और सोशल मीडिया के बाकी प्लेटफार्म, इत्यादि को भी कार्यस्थल माना जाएगा।
इस सब पर ध्यान देने के बाद अब अगर हम ऊपर दी गयी तीनों परिस्थितयों को समझे। इनमें से पहली रीमा की परिस्थिति, PoSH के अंतर्गत नहीं आएगी, क्यूंकि वहाँ शिकायतकर्ता (complainant) और प्रतिवादी (respondent) कार्यस्थल से जुड़े हुए नहीं थे। ऐसे में रीमा यदि चाहे तो पुलिस के पास इस घटना की शिकायत दर्ज करा सकती है, लेकिन चूँकि इसका कार्यस्थल से सम्बन्ध नहीं है, ये PoSH के अंतर्गत नहीं मानी जाएगी।
लेकिन दूसरी और तीसरी घटनाओं में शिकायतकर्ता और प्रतिवादी, दोनों का सम्बन्ध कार्यस्थल से था। दूसरी परिस्थिति में सीमा भी अपनी फैक्ट्री द्वारा प्रदान की गयी बस में यौन उत्पीड़न का सामना करती है, जो कार्यस्थल की परिभाषा में आता है और इसीलिए ये घटना पॉश PoSH के अंतर्गत आएगी।
तीसरी घटना में भी वर्कशॉप करने आयीं शिकायतकर्ता कशिश, किसी दूसरे कार्यस्थल की कर्मचारी, भी वहाँ अपनी नौकरी से जुड़े काम के सम्बन्ध से ही मौजूद थीं।दूसरी और तीसरी परिस्थितियों में प्रतिवादी आतंरिक समिति के सदस्यों के क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) के अंतर्गत आएगा। जैसे यहाँ पहले भी कहा गया है, कार्यस्थल केवल भौतिक (physical) ही नहीं होता बल्कि ऑनलाइन, व्हाट्सप्प ग्रुप, फ़ोन कॉल, और सभी प्रकार के टेलीकम्यूनिकेशन इत्यादि भी कार्यस्थल माने जाते हैं। किसी भी तरह का अनचाहा यौनिक व्यवहार – शारीरिक, मौखिक, सांकेतिक, लिखित, बर्ताव द्वारा, तस्वीर, वीडियो या अन्य किसी रूप में जो आपके लिए कार्यस्थल पर एक विरोधपूर्ण माहौल बना दे और आपको असुरक्षित महसूस कराये, वह यौन उत्पीड़न माना जाएगा। काम के घंटो के बाद बार बार फ़ोन करना, नशे की अवस्था में फ़ोन करना, अश्लील इशारे, किसी को घूर कर असुरक्षित महसूस कराना इत्यादि ऐसे कुछ उदाहरण हो सकते हैं ।